कान्हा काहे को तू मुस्काए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
रानी हजारों तेरी रुक्मण पटरानी
तेरे सिवा ना किसी की राधारानी
कहे मोहन कोई ढूंड के लाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
तेरे महल कान्हा नित ही दिवाली
राधा की तुम बिन पूनम भी काली
रो रो नैनों की जोत गंवाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
लाखों को पार कान्हा तूने उतारा
बस जीते जी तूने राधा को मारा
फिर क्यों पालनहार कहाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
*** प्रदीप नील हिसार हरियाणा 09996245222***
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
रानी हजारों तेरी रुक्मण पटरानी
तेरे सिवा ना किसी की राधारानी
कहे मोहन कोई ढूंड के लाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
तेरे महल कान्हा नित ही दिवाली
राधा की तुम बिन पूनम भी काली
रो रो नैनों की जोत गंवाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
लाखों को पार कान्हा तूने उतारा
बस जीते जी तूने राधा को मारा
फिर क्यों पालनहार कहाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
*** प्रदीप नील हिसार हरियाणा 09996245222***
You write well.
ReplyDeletenice,thanks for approach
ReplyDeleteThanks a lot
ReplyDeletepardeep
अच्छा गीत है...बधाई...
ReplyDeleteबहुत आभारी हूँ डा.शरद जी. कृपया लौट कर आते रहें.
ReplyDeletewow....... wat a poetry.... uncle u r a great poet...... GUNJAN
ReplyDeletegreat poet....
ReplyDeletesanjay bhaskar
fatehabad
haryana
bahut hi sundar likha aapane
ReplyDeletecheck out mine
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
Thanks a lot Gunjan,sanjay and chirag.Plz keep visiting
ReplyDeleteलाखों को पार कान्हा तूने उतारा
ReplyDeleteबस जीते जी तूने राधा को मारा
फिर क्यों पालनहार कहाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
बहुत सुंदरता से आप ने राधा के दर्द को व्यक्त किया है ...........
bahut sunder bhazan likhte hain aap..badhai pradeep ji..
ReplyDeleteअनु और डा. कविता जी आप का बहुत बहुत आभारी हूँ . कृपया आते रहें .कुछ समय बाद नई रचनाए पोस्ट करूँगा
ReplyDeleteसुंदर रचना पहली बार आया आपके ब्लाग पर अच्छा लगा
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
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