Sunday, February 6, 2011

हुई चुनरिया लाल री माँ होली में ( प्रदीप नील )

बरसा रंग गुलाल री माँ होली में
हुई चुनरिया लाल री माँ होली में

में तो चढी थी छुप के अटरिया
जाने कहाँ से आया री सांवरिया
घेर लई नन्दलाल री माँ होली में 
हुई चुनरिया लाल री माँ होली में  


कितना ही रोका बचा नहीं पाई
नन्द के छोरे ने पकड़ी कलाई
बिखरे मेरे बाल री माँ होली में 
हुई चुनरिया लाल री माँ होली में  

मुझको जकड़  के आँखों में झांके
मेरी तो हलक में रुक गई साँसें
हुए गुलाबी गाल री माँ होली में 
हुई चुनरिया लाल री माँ होली में 

कितना मनाया ना माने नन्दलाला
उसने तो मां मुझे  पूरा रंग डाला
हाल हुआ बेहाल री माँ होली में 
हुई चुनरिया लाल री माँ होली में 


बरसा रंग गुलाल री माँ होली में
हुई चुनरिया लाल री माँ होली में


         प्रदीप नील
हिसार हरियाणा  09996245222



1 comment:

  1. रंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|
    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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