Saturday, June 18, 2011

मोहे गोकुल ऐसो भायो सखी

मोहे गोकुल ऐसो भायो सखी ,मैं तो भूल गई  बरसानो री
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,का पूछो हो मेरो ठिकानो री 

     कहें गोपियाँ माखनचोरी करे वो नंदकिशोर  री 
    धर के हथेली दिल दे आई ,कैसे कहूँ चित्तचोर री
    चलो ना कोई जोर री , मैं किसने देऊ  उल्हानो  री    
    जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,का पूछो हो मेरो ठिकानो री

ऐसी भई मैं श्याम की श्यामा , मैं तो हुई बडभागन  री
जागत जागत खोवन लगी  मैं ,सोवत सोवत जागन री
अब श्याम रहे मेरी आंखन मैं, जग दिखे बेगानों  री
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,का पूछो हो मेरो ठिकानो री                                                                                 

     सबई कहें ठगन को ठग है ,जो है नन्द को लालो
     मैं का मानू बात सखी  वो  मेरे है देखो- भालो
     देखन मैं बेशक है कालो , वो सबने करे दीवानों री   
जहाँ श्याम बसे मैं बसूं वहीँ ,का पूछो हो मेरो ठिकानो री


प्रदीप नील ,हिसार ,हरियाणा -१२५००१