कान्हा काहे को तू मुस्काए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
रानी हजारों तेरी रुक्मण पटरानी
तेरे सिवा ना किसी की राधारानी
कहे मोहन कोई ढूंड के लाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
तेरे महल कान्हा नित ही दिवाली
राधा की तुम बिन पूनम भी काली
रो रो नैनों की जोत गंवाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
लाखों को पार कान्हा तूने उतारा
बस जीते जी तूने राधा को मारा
फिर क्यों पालनहार कहाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
*** प्रदीप नील हिसार हरियाणा 09996245222***
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
रानी हजारों तेरी रुक्मण पटरानी
तेरे सिवा ना किसी की राधारानी
कहे मोहन कोई ढूंड के लाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
तेरे महल कान्हा नित ही दिवाली
राधा की तुम बिन पूनम भी काली
रो रो नैनों की जोत गंवाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
लाखों को पार कान्हा तूने उतारा
बस जीते जी तूने राधा को मारा
फिर क्यों पालनहार कहाए रे
राधा गोकुल में नीर बहाए रे
*** प्रदीप नील हिसार हरियाणा 09996245222***