Sunday, February 6, 2011

कान्हा तू ही है हरजाई रे

कैसी प्रीत की रीत चलाई रे
कान्हा तू ही है हरजाई रे

राधा को रोते तूने गोकुल में छोड़ा
भोली ग्वालिन का दिल तुमने तोडा
तुम्हे  याद ना किसी की  आई  रे
कान्हा तू ही है हरजाई रे

रुक्मण बनाई फिर तूने पटरानी
दिल में बसे  लेकिन तेरे  राधारानी
तूने दोनों से की बेवफाई रे
कान्हा तू ही है हरजाई रे

मीरा ने बचपन से वर तुमको माना
लेकिन कब जोगन को तूने पहचाना
तेरे द्वारिका भी वो आई रे
कान्हा तू ही है हरजाई रे

** प्रदीप नील हिसार हरियाणा -- 09996245222

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