Sunday, January 10, 2016

श्याम तेरी डोर राधिके हाथ ( प्रदीप नील )

श्याम  तेरी डोर राधिके  हाथ
बनो फिरै बेशक तू जगन्नाथ

कहने को तो मोहनी मुरलिया, अधर तुम्हरे हरदम साजे
जब राधा की बजे पैंजनियां, तभी तुम्हारी मुरली बाजे
तब ये दिन देखे ना ये रात
श्याम तेरी डोर राधा के हाथ

हर गोपी को भ्रम यही के ,कान्हा तो है सिर्फ उसी का
मीरा, रुक्मण तक ये जाने,  बिन राधा तू नहीं किसी का
ना जाने कितने युगों का साथ
श्याम तेरी डोर राधा के हाथ

राधा-माधव तुम्हे पुकारें, चाहे बोलें राधेश्याम
तेरे नाम से पहले मोहन, आता है राधा का नाम
है सौ बातों की बस यही बात
श्याम तेरी डोर राधा के हाथ


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