Sunday, January 10, 2016

आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी ( प्रदीप नील )

        

राधा बेचारी फिरे मारी मारी
छुपा है कहां मेरा बांके बिहारी
आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी,आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी।

सखियन से जाके करे अरजोई
खोज लाओ मुरलीवाला री कोई
बदले में ले लो दौलत ये सारी
आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी,आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी।

ग्वालन से पूछैं कभी जमुना पै देखें
कदंब कि डाली भी चढ चढ खोजैं
गोकुल की गलियन भी छान दीनी सारी
आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी,आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी।

फूट फूट रोए राधा आंचल भिगोए
श्याम  नहीं खोए मैंने तीनों लोक खोए
आंचल से बांधा नहीं गई मति मारी
आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी,आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी।

आया इक ग्वाला गोरे रंग वाला
बोला राधा प्यारी हमीं हैं मुरारी
मैं ही बिहारी तेरा मैं ही बिहारी 
मैं ही गिरधारी हूं  मैं ही गिरधारी। मैं ही गिरधारी हूं  मैं ही गिरधारी।


राधा  नहीं मानै ना उसे पहचानैं
मेरा कान्हा काला तू गोरे रंग वाला
चला जा यहां से नहीं तो दूंगी गारी
आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी,आजा गिरधारी तू आजा गिरधारी।

हंस के तब कान्हा ने राधा को बताया
रंग चढा तेरा अंग तूने जो लगाया
देख ज़रा दर्पण तू भी हो गई कारी
मैं ही मुरारी हूं तेरा बनवारी
देखो मेरी श्यामा  तेरा बांके  बिहारी
मैं ही गिरधारी हूं  मैं ही गिरधारी।
मैं ही गिरधारी हूं  मैं ही गिरधारी।

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